लेखन की हर विधा में विचारों की अभिव्यक्ति होती है जिससे साहित्य का निर्माण होता है, साहित्य मानवीय मूल्यों को अभिव्यक्त करता है। जिसमें समाज का यथार्थ प्रकट होता है। एक बेहतर समाज का निर्माण होता है लेखन का संबंध सृजनशीलता से होता है।...
moreलेखन की हर विधा में विचारों की अभिव्यक्ति होती है जिससे साहित्य का निर्माण होता है, साहित्य मानवीय मूल्यों को अभिव्यक्त करता है। जिसमें समाज का यथार्थ प्रकट होता है। एक बेहतर समाज का निर्माण होता है लेखन का संबंध सृजनशीलता से होता है। सृजन में भावनाओं की सूक्ष्मता, संवेदनशीलता और लयबद्ध संरचना का अधिक महत्व है। आज नई तकनीक ने पढना लिखना आसान बनाया है। लेकिन आज सृजन के कई महत्वपूर्ण पहलू छूटते जा रहे हैं। सृजनात्मक लेखन की और हमारा ध्यान कम हो रहा है खासतौर से हिन्दी का यह भी माना जा रहा है कि वर्तमान में साहित्य क्षेत्र में बाजारवाद हावी है और लेखक बंधी-बंधाई लीक (फामरूला-आधारित) पर काम कर रहे हैं। इसके पीछे अगर कारण तलाशे तो सबसे पहले नज़र आती है हमारी शिक्षा पद्धति हमारी शिक्षा पद्धति हिंदी की बजाय, अंग्रेजी में ज्यादा हो रही है। इसके चलते हिंदी में लेखन कम होने लगा है। लोग जिस माध्यम से शिक्षा पाते हैं, उनकी विचार प्रक्रिया भी उसी के अनुसार काम करने लगती है। वर्तमान में हम अंग्रेजी की तरफ ज्यादा आकर्षित हो रहे है इसमें कोई बुराई भी नही है बोलचाल की बात हो या लेखन की.. सामान्यत लोग अपनी मातृभाषा में ही ज्यादा अनुकूलता के साथ व्यवहार कर पाते हैं। ऐसा नहीं है कि हिंदी भाषी क्षेत्रों में योग्यता की कमी हो। सच तो यह है कि अन्य भाषाओं से तुलना के चलते हिन्दी पठन-पाठन लेखन में रुचि ही कम हो गई है।दूसरा कारण ये है की वर्तमान युवा वर्ग का ध्यान करियर की तरफ ज्यादा है। पहले बच्चों को पाठ्य पुस्तकों के अलावा दूसरी पुस्तकों को पढ़ने के लिए भी प्रेरित किया जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब तो सब-कुछ करियर के नजरिए से ही तय हो रहा है। चूंकि साहित्य में अन्य क्षेत्रों की तुलना में स्थापित होने में ज्यादा समय लगता है, इसलिए भी युवा वर्ग इस ओर ध्यान देने की बजाय, अन्य क्षेत्रों की चकाचौंध की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। बहरहाल इस किताब के माद्यम से सिर्जनात्मक लेखन की चेतना को फिर से ताज़ा करने का प्रयास किया है सिर्जनात्मक लेखन के भिन्न भिन्न प्रारूपों की लेखन विधा को सरल ढंग से बताया गया है मुझे यकीं है की पुस्तक में बताई गयी चीजों का अनुसरण कर हम लेखन में अपनी रूचि को बढा पाएंगे जो शिक्षा ,रोजगार ,समाज और नव लेखकों के विकास में कारगर सिद्ध होगी उमीद है आप सब को ये प्रयास पसंद आयेगा